in , , ,

वो गाना जिसपे लता जी ने मज़ाक बनाया और फिर वही सॉन्ग इतना चला की सरकार को बैन करना पड़ा

वो गाना जिसपे लता जी ने मज़ाक बनाया और फिर वही सॉन्ग इतना चला की सरकार को रोक लगानी पड़ी!

1973 की बात है रोटी कपड़ा और मकान के एक गाने की मेकिंग चल रही थी इसकी बड़ी मज़ेदार कहानी है। मनोज कुमार की ‘रोटी, कपड़ा और मकान‘ (1974) में एक हिट गाना था – बाकी कुछ बचा तो महंगाई मार गयी। गीतकार वर्मा मलिक ने महंगाई पर ये गाना लिखा। गाना क्या कव्वाली बन गयी। उसे पहले तो पढ़ कर सब हंसे। लेकिन ये किसी को पसंद नहीं आ रहा था।

Bollywood Movies News

लिहाजा इसे सुनकर सब अजीब रिएक्शन दे रहे थे। मनोज कुमार उन दिनों सुपर स्टार थे। उनका मन था ये कब्बाली हटादो। लेकिन किसी तरह कन्वेन्स किया फिल्म के डायरेक्टर ने, कहा गया मैं इसे बाद में हटा दूंगा, अगर फिल्म में फिट नहीं हुआ तो। लता जी को भी गाना समझ नहीं आया कहा- कहा-से शुरू हुआ कहा ख़त्म हो रहा है फिल्मांकन के समय भी आर्टिस्ट मौशमी चैटर्जी और प्रेमनाथ का भी हंस-हंस कर बुरा हाल। यह कैसा गाना है यार? कहा गया दर्शक बोर हो जायँगे।
खैर.. लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने संगीत की रिकॉर्डिंग की पर मन उनका भी थोड़ा खट्टा था बेमन से रिकॉर्ड कर लिया और फिर ये गाना भी 8:30 मिनट से भी बड़ा गाना बना। लेकिन वर्मा मलिक साहब अपनी लिखे गीत से बिलकुल संतुष्ट थे उन्हें भरोसा था। अपनी फिलॉसॉफी पर की गाना फिल्म की सिचुएशन के हिसाब गाना बिलकुल सही है। इतने बड़े बड़े लोगो ने जिसे ना कह दिया तो आदमी का विश्वास डगमगा जाता है और उसको को छोड़ देता है पर ये वर्मा साहब थे। ये स्वतंत्रता सेनानी जो थे। इसलिए अपने काम पर और अपने आप पर अगर पूरा भरोसा हो तो कुछ भी इम्पॉसिबल नहीं

और फ़िल्म रिलीज़ होने से पहले ही सुपर-हिट हो गया यह गाना। इस पर ऐसा माहौल कि महंगाई और अराजकता से परेशान जन-जनार्दन की आवाज़ बन गया यह गाना। हर गली-कूचे में छा गया। भारत सरकार भी परेशान हो उठी। कुछ अरसे तक प्रतिबंधित भी रहा ये गाना।

What do you think?

Written by Deepak Kumar

frog temple lakhimpur kheri, Uttar pardesh

भारत का एक मात्र एेसा मंदिर, जहां भगवान शिव मेंढक की पीठ पर विराजित

Happy Independence Day 2018

Happy Independence Day 2018