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गोपाल दास नीरज : गुजर गया कारवां, महज 6 साल में ही अनाथ हुए मशहूर गीतकार नीरज

गोपाल दास नीरज लंबे समय से बीमार चल रहे थे। तबीयत बिगड़ने के बाद गोपालदास नीरज को दिल्ली के एम्स अस्पताल में लाया गया था। एम्स में उन्होंने शाम 7.35 बजे अंतिम सांस ली।

19 जुलाई 2018 की शाम को जब सांसों की डोर के आखिरी मोड़ तक बेहतहरीन नगमे लिखने के ख्वाहिशमंद फेमस गीतकार और पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित कवि और गीतकार ‘गोपाल दास नीरज’ के निधन की ख़बर आई तो सबके होंठों पर बस उनका एक ही गीत था – ‘कारवां गुज़र गया गुबार देखते रहे’। कवि गोपालदास सक्सेना नीरज का
एम्स में निधन हो गया। वह 93 वर्ष के थे।

महफिलों और मंचों की शमां रोशन करने वाले नीरज को कभी शोहरत की हसरत नहीं रही. उनकी ख्वाहिश थी तो बस इतनी कि जब जिंदगी दामन छुड़ाए तो उनके लबों पर कोई नया नगमा हो, कोई नई कविता हो.

गोपालदास नीरज के पुरस्कृत गीत हैं

* शोखियों में घोला जाए फूलों का शबाब (1970, फिल्म- प्रेम पुजारी)

* पैसे की पहचान यहां (1970, फिल्म- पहचान)

* काल का पहिया घूमे रे भइया! (वर्ष 1970, फिल्म चंदा और बिजली)

* बस यही अपराध मैं हर बार करता हूं (वर्ष 1971, फ़िल्म पहचान)

* ए भाई! ज़रा देख के चलो (वर्ष 1972, फिल्म मेरा नाम जोकर)

* जलूं मैं जले मेरा दिल (1972, फिल्म- छुपा रुस्तम)

* हरी ओम हरी ओम (1972, फिल्म- यार मेरा)

* दिल आज शायर है (1971, फिल्म- गैम्बलर )

गोपालदास नीरज के बचपन के शुरुआती जीवन के लम्हे मखमली नहीं थे। जब महज 6 साल के थे तो पिता का साया सिर से उठ गया था, उनको 10वीं के बाद अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी। बालक गोपाल पर परिवार की जिम्मेदारी आ गयी। उनका एक वक्त ऐसा भी आया की, उफनती यमुना नदी की गोद में छलांग लगाते और श्रद्धालुओं द्वारा फेंके गये सिक्के निकला करते थे। उन्होंने एक बार कहा था की मैंने छोटे-छोटे काम किये, पीजी पूरी होने के बाद मैंने टाइपिस्ट का काम किया, कुछ दिनों तक सरकारी नौकरी भी की, लेकिन मुझे उनका सिस्टम पसंद नहीं आया। नीरज जीवन के अंतिम लम्हों तक बीड़ी का सूटा मारते रहे।

अभिनेता, नेता, गीतकार, शायर से लेकर एक आम आदमी फैन तक.. नीरज सबके थे! और इसलिए भी उनको सब ने याद भी किया। भारत के राष्ट्रपति कोविंद ने ट्वीट कर कहा कि- ‘जाने-माने कवि और मशहूर गीतकार गोपाल दास नीरज के निधन के बारे में जानकर बहुत दुख हुआ। “प्रेम पुजारी” से लेकर “च च च” तक उनकी धुनों और गीतों को आज भी याद किया और सुना जाता है। उनके परिवार-जनों और प्रशंसकों के प्रति मेरी शोक-संवेदनाएं’। भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भी नीरज के निधन पर शोक जताया।

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Written by GNN Online

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