कश्मीर में इंटरनेट सेवाएं बंद होने पर भले ही इस समय हायतौबा मची हुई है, लेकिन ये वहां काफी आम बात है. आए दिन कोई न कोई विरोध होता ही रहता है, जिसकी वजह से ऐसे कदम उठाए जाते हैं. अगर देखा जाए तो 2019 में इस बार 53वीं बार जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट सेवाएं बंद की गई हैं. इतना ही नहीं, 2016 में जब 8 जुलाई को बुरहान वानी का एनकाउंटर हुआ था, उसके बाद तो 133 दिनों के लिए इंटरनेट बंद कर दिया गया था. पूरे साल में करीब 10 बार इंटरनेट सेवाएं बंद हुईं. इसी तरह 2012 में करीब 150 बार जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट सेवाएं बंद रही थीं.
कश्मीरी पंडितों के साथ 1990 में क्या हुआ था, कोई कैसे भूल सकता है. सरेआम नरसंहार हुआ था. महिलाओं से बलात्कार हुआ था. नतीजा ये हुआ कि लाखों की संख्या में कश्मीरी पंडितों को कश्मीर से पलायन करना पड़ा. उस दौरान कश्मीर में जनवरी से मई तक करीब 175 दिनों तक कर्फ्यू लगा था, अब तक का सबसे अधिक दिनों का कर्फ्यू
2016: 56 दिनों का कर्फ्यू
1984: अलगाववादी नेता की फांसी के बाद हिंसा
2008: अमरनाथ यात्रा को लेकर बवाल
2010: 112 लोग मारे गए
कश्मीर में हिंसा की वजह धारा 370 नहीं, बल्कि अलगाववादियों की बेतुकी मांगें हैं. भटके हुए युवा हैं, जिन्हें भरमाया जा रहा है