- इंडिया टुडे डेटा इंटेलिजेंस यूनिट (DIU) ने इस सन्दर्भ में कुछ आंकड़े पेश किये हैं जिनका आधार नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे है. यदि इन आंकड़ों पर यकीन किया जाए तो मिलता है कि इसके जरिये न सिर्फ मुसलमानों को लेकर एक बड़ा मिथक टूटा है. बल्कि इसमें ये भी बता चल रहा है कि देश के मुस्लिम परिवारों की प्रजनन दर बहुत तेजी के साथ कम हुई है नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे में साल 1992-93 में हिंदू परिवारों में प्रजनन दर 3.3 थी जो साल 2015-16 में 2.1 हुई है जबकि बात अगर मुस्लिम परिवारों की हो तो 1992-93 में मुस्लिम परिवारों में प्रजनन दर 4.4 थी जो 2015-16 में घटते घटते 2.6 हो गई है. इस हिसाब से मुसलमानों की प्रजनन दर जहां 40 प्रतिशत तक कम हुई है वहीं हिंदू परिवारों में ये कमी 27 प्रतिशत तक कम दर्ज की गई है. यानी कहा जा सकता है कि हिन्दू और मुस्लिम परिवार पिछले 22-23 सालों में प्रजनन दर को लेकर लगभग समानता की स्थिति में आ गए हैं
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