नेहरू जी की शव यात्रा में जो उम्मीद थी उसमे बेहद काम जनता आयी थी जबकि विदेशो से से राष्ट्र प्रतिनिधि आये थे पर जनता की भागेदारी काम थी। इसका वजह थी कश्मीर को लेके पंडित जी का रवैय्या और 1962 में भारत की चीन से बेहद शर्मनाक पराजय।
इंद्रा गांधी की शव यात्रा में भी लोग नहीं आये इसका कारन था कांग्रेस ने जो दंगे करवाए जिसमे हजारो सिखों का कत्ले आम और अपना जान क्षति देश के बाद माहौल बिगाड़ के रख दिया था।
मंडेला जी की हस्ती के हिसाब से उनकी शव यात्रा फीकी थी। शायद वो कई दिनों तक बीमार रहे और नयी पीड़ी उनसे उस तरह से नहीं जुड़ सकी शायद कहा जाता है की वे राष्ट्रपति आगे दिनों में इतने लोक प्रिये नहीं रहे थे।
पर अटल की शव यात्रा में आये VIP, VVIP से इंद्रा गाँधी हवाई अड्डे में जाम की स्थिति लगातार बानी रही वो 15 अगस्त की तैयारिओं का लाभ मिला नहीं तो, सुरक्षा कर्मियों को और भी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता था।