विश्वप्रसिद्ध बाबा के आशीर्वाद से पीएम मोदी, फेसबुक के फाउंडर मार्क जुकरबर्ग और एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स को यहां मिली राह, या यु कहे की इनकी किस्मत बनाने वाले गुरू का आश्रम, उनके इस आश्रम में जहां न केवल भारत देश के वासियों को ही वरन पूरी दुनिया को प्रसन्न और खुशहाल बनने का रास्ता मिलता है।
नीम करौली बाबा का जन्म उत्तरप्रदेश के फिरोजाबाद जिले में रहने वाले एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनका विवाह एक ब्राह्मण कन्या के साथ मात्र 11 वर्ष की उम्र में ही कर दिया गया था। फिर शादी के कुछ समय बाद ही बाबा ने घर छोड़ दिया था तथा साधु बन गए थे। कहा जाता है कि लगभग 17 वर्ष की उम्र में उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।
बाबा के घर छोड़ने के लगभग 10 वर्ष बाद उनके पिता को किसी जानने वाले ने उनके बारे में बताया जिसके बाद उनके पिता ने उन्हें तुरंत घर लौटने तथा वैवाहिक जीवन जीने का आदेश दिया। वह घर लौट आए। इस दौरान उनके दो पुत्र तथा एक पुत्री उत्पन्न हुए। गृहस्थ जीवन के साथ-साथ वह अपने आप को सामाजिक कार्यो में व्यस्त रखते हैं। नीम करौली बाबा हनुमानजी के इतने बड़े भक्त थे की उन्हें अपने जीवन में लगभग 108 हनुमान मंदिर बनवाए थे।
वर्तमान में उनके हिंदुस्तान समेत अमरीका के टैक्सास शहर में भी मंदिर हैं। बाबा को वर्ष 1960 के दशक में अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली। उस समय उनके एक अमरीकी भक्त ‘बाबा राम दास’ ने एक किताब लिखी जिसमें उनका उल्लेख किया गया था। इसके बाद से पश्चिमी देशों से लोग उनके दर्शन तथा आर्शीवाद लेने के लिए यहाँ आने लगे।
नीम करोली बाबा ने अपनी समाधि के लिए वृन्दावन की पावन भूमि को चुना। उनकी मृत्यु 10 सितम्बर 1973 को हुई। उनकी याद में आश्रम में उनका मंदिर बना गाया तथा एक प्रतिमा भी स्थापित की गई।